आखर शब्द सब गूंज रहे है
अर्थ नए नित ढूंढ रहे है
सकल धरा पे अकुलाहट है
क्रन्दन से कण-कण व्यथित है ।।
मनुज सकल सब सूर रूप धर
असुर ज्ञान से कातर लतपथ
गरल घुला इस मधुर चमन में
घायल मलिन ज्ञान रश्मि रथ।।
मनुज सकल सब सूर रूप धर
असुर ज्ञान से कातर लतपथ
गरल घुला इस मधुर चमन में
घायल मलिन ज्ञान रश्मि रथ।।
ऐसा वीणा तान तू छेड़ दे
मधुर सरस जो मन को कर दे
मानवता का अर्थ ही सत्य हो
ज्ञान दिव्य ऐसा तू भर दे ।।
हे माँ वीणा वादिनी फिर से
ऐसा सकल मंगल तू कर दे
मानस चक्षु पे तमस जो छाया
नव किरण से आलोकित कर दे ।।
हे माँ विणा वादिनी वर दे ।।।
हे माँ वीणा वादिनी वर दे ।।।