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Thursday, 4 July 2013

श्रधान्जली के मायने

                               लाल गलियारा एक बार फिर से कर्तव्यनिष्ठ के रक्त से सन गया। उदेश्य विहीन उदेश्य ने कुसमय काल चक्र के घेरे में लील कर मासूमो को अपने से दूर कर दिया। गलतिय उनसे हो गई अपने को बंधे ढर्रे में घीसी पिटी कानूनों के लकीर पर चलने का हौसला जो कर बैठे। प्रत्येक अख़बार ने अपने कागज काली कर दी। समय समय पर जो इनके समर्थन और अत्याचारों की अनगिनत कहानियो से कलमो की स्याही सुखाते रहे है।उनके कलमो  में कुछ स्याही इन समय के लिए भी बची हुई है। जो उजाड़ दिए गए शहीद का दर्ज पा गए। रशमो अदागाई में कोई कमिया  नहीं रह गई है।इस कवायद में इतने अभ्यस्त हो गए है की हर बार सिर्फ इन आतंक का शिकार होने वाले के नाम बदल जाते है बाकि सब पूर्ववत सा होता है। फिर से वही घटना स्थल का दौर , वही खामियों का विशलेषण, मुआवजे ज की घोषणा  संतप्त परिवार को दिलासा।यही तो नियति है यही तो कर्म है इन कर्मो से कैसे कभी बिमुख नहीं होते। इन आचरणों को निति नियंता ने अपने में आत्मसात कर रखा है। शायद इनके कर्मो की पूर्णाहुति इन्ही आडम्बरो से ढक दिया जाता है की इन घटनाओ का दुहराव कैसे हो जाता है इस पर इनको सोचने का वक्त नहीं मिलता या जरुरी नहीं समझते।पुनः रणनीति बनाई जाएगी ,मुख्यधारा में लेने  के लिए अनेको घोषणा का अम्बार  लग जायेगा। किन्तु साथ-साथ इनसे लड़ने के लिए तैयार बैठे जांबाजो को सद्विचार दिया जायेगा की ये भी अपने ही है कुछ समय के लिए ये गुमराह हो गए या भटक गिये है। अपने कर्तव्य के दौरान इन बातो को कभी नजरंदाज नहीं करे नहीं तो आप मानवाधिकार के उलंघन के दोषी पाये जायेंगे।लालधारियो को बेशक हम पकड़ने में अक्छम हो किन्तु आपको अन्दर करने में हमारी छमता जग जाहिर है। आखिर हमने तो आपको कहा नहीं की इस सेवा में आपकी जरुरत है आप अपनी इक्छा से आये है येही तो इसका श्रृंगार है।
                            भटक तो बहुत कोई जाते है उनको ही रास्ते दिखाने के लिए हर साल इन जम्बजो को सपथ दिलाई जाती है न की निति नियंता के अकर्मण्यता का शिकार बनने के लिए विचारणीय है। इस प्रकार से अगर इन पूंजियो को हम नपुंशक विचार और अक्छम कार्यशैली के हाथो किसी गुमराह की बलि चड़ने दे तो वो दिन दूर नहीं जब रास्ता  दिखने वाले खुद ही गुमराह हो जाये।देश के वास्तविक तान बाना कमजोड न परे इसके लिए मजबूत निर्णय सिर्फ कागजो पर न होकर वास्तविकता के धरातल पर उसका परिलक्छन दिखाई  पड़ना चाहिए।भय बिन होहु न प्रीत ऐसे ही नहीं कहा गया है।
                          अंत में उसी रश्म का निर्वाह करते हुए किन्तु दिल से मै  इस कायरता पूर्वक अंजाम दी गए घटना में शहीद हुए कर्तव्यनिष्ठ अधिकारिओ के प्रति हार्दिक संवेदना तथा उनके परिवार को इस दुःख से जल्द से जल्द उभरे ऐसा भगवन से कामना करता हु। 

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