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Monday, 15 July 2013

जीवन क्या.................?

जीवन  क्या ............... ?
पुष्प की अभिलाषा है,
या रस से भरी मधुशाला है,
खिली गुलाब की पंखुरियां है,
या काँटों से भरी पुष्प की डलियाँ है।।

जीवन  क्या ................... ?
शांतनु का प्रेम- प्रलोभ है,
या भीष्म का राज निर्लोभ है,
कृष्ण का निष्काम कर्म योग है,
या अर्जुन का मोह संशय वियोग है।।

जीवन क्या  ...................?
एकलव्य से गुरु के दक्षिणा याचना है,
या द्रोणाचार्य की शिष्य से संवेदना है ,
दुर्योधन की भार्त्र कपट लीला है
या लांछित कर्ण की दानशीला  है।।  
   
 जीवन क्या  ...................?
उत्तरा की नींद का आगोश है,
या अभिमन्यु का चक्रब्यूह प्रवेश है,
ध्रितराष्ट्र का अंध-पुत्र मोह है,
या युधिष्ठिर का अर्ध-सत्य संयोग है।।

जीवन क्या ...................... ?
कैकई की त्रिया-हठ कोप भवन वास है,
या पुरुषोत्तम राम का त्याग बनवास है ,
कामुक इंद्र की छल-प्रपंच लीला है,
या गौतम शापित अहिल्या की शीला है।।

जीवन क्या .......................... ?
हजारो तारो का  अकुलित प्रकाश है, 
या उद्योदित रवि का अट्टहास है ,
चाँद की शीतलता का मधुर पान है, 
या अग्नि की तीब्रता का विषद ज्ञान है।।

जीवन क्या ......................... ?
खुशियों का ज्वार है,
या गम की तरल धार है,
आकंछाओ की अभिव्यक्ति है,
या मृगतृष्णा से खुद की मुक्ति है।।

जीवन क्या  ........................?

5 comments:

  1. जिन्दगी क्या .
    खुशियों का ज्वार है,
    या गम की तरल धार है,
    आकंछाओ की अभिब्यक्ति है,
    या मृगतृष्णा से खुद की मुक्ति है।।

    बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,

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  2. सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !

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