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Wednesday, 28 August 2013

शुभ-जन्माष्टमी

आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना 


अब आडम्बर कोई नहीं,सब तेरा प्रभु इंतजार करे ,
कुछ शुक्ल नहीं दिखता बस चारो ओर अज्ञान भरे। 

कल्कि का कालिख उड़ रहा सब ओर तम  अँधेरा है,
भीग रहे कितने नयने यहाँ छाया अँधियारा गहरा  है। 

कर्तव्य का कोई मोल नहीं मोह ने सबको लीला है, 
गीता ज्ञान की बाते सिर्फ टकराती मंदिर शिला है। 

जो लाँघ चले मंदिरशाला तेरे विकृत गुणगान करे 
चौसंठ कला नहीं कोई बस रसिया कह सम्मान करे। 
  
इस बार फिर तू आएगा हम मधुर धुन पर नाचेंगे
कितने ही बिकल विलापो को बस कुछ पल ही  ढाकेंगे। 

अबकि आकर मुरली मनोहर कुछ ऐसा चक्र चला देना 
शिश अलग अज्ञान का कर पुनः ज्ञान रवि फैला देना। 

6 comments:

  1. अबकि आकर मुरली मनोहर कुछ ऐसा चक्र चला देना
    शिश अलग अज्ञान का कर पुनः ज्ञान रवि फैला देना।
    ***
    इस प्रार्थना में हमारा भी स्वर शामिल है!

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें!

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  3. कर्तव्य का कोई मोल नहीं मोह ने सबको लीला है
    गीता ज्ञान की बाते सिर्फ टकराती मंदिर शिला है ...

    ज्ञान कौन सुनना चाहता है अब ... स्वार्थ हावी है ...
    सार्थक प्रस्तुति है ... कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई ...

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  4. आपको भी जन्माष्टमी की बधाई...

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  5. जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाइयाँ और इस रचना के लिए भी.

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  6. जी हाँ गीता ज्ञान की बाते अब सिर्फ उपदेश बन कर रह गई है । बहुत सुंदर । मेरी ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।

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