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Monday 2 April 2018

रात की रुमानियत


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जैसे जैसे रात भींग रही है। एक ख़ामोशी की पतली चादर पसारती जा रही है। टिमटिमाते तारे जैसे  उसे देखकर अपनी आँखे खोलता और बंद करता है। बीच बीच में सड़कों पर दौड़ती गाडी की रौशनी जैसे पुरे क्षमता से इन अंधरो को ललकारती है और इनके गुजरते ही फिर वही साया मुस्कुराते हुए बिखर जाती है। 

     दिन का कोहराम  कभी दिन को देखने का मौका नहीं देता। लेकिन रात की पसरी हुई काली साया बड़ी स्थिरता से , ठहर कर, रुक कर, मंद मंद मुस्कुरा कर जैसे स्वयं की ओर आकर्षित करती है। यह भूलकर की खुली आँखों से अँधेरे में कुछ नहीं दिखता ,आप अँधेरी रात को देखे । इसके आंचल में दूर तलक बिखरे रूमानी सौंदर्य की अनकही छवि आपको अपने मोहपाश में जकड लेगी।

         दिन के उजालो में भागते भागते हम थक कर इतने बिखर जाते है कि कभी रात अंधियारे में बिखरे मासूमियत का एहसास ही नहीं कर पाते। खुली आँखे भी अँधेरे में पसरी सौन्दर्य पर मोहित होती है क्योंकि उसकी तिलिस्मी आभा अंधियारे के साथ और निखरती है । लेकिन इस अंधियारे में छिपे तिलिस्म और रूमानी खूबसूरती का आनंद  तभी ले सकते है जब आप रात की गोद में बैठ कर कभी उसे निहार भी लिया करे।
       

18 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-04-2017) को "उड़ता गर्द-गुबार" (चर्चा अंक-2929) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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