Saturday 8 September 2012

अपने ही देश में बेगाने लगे है।

अपने ही देश में बेगाने लगे है।

भाषा और बोली में देश खो सा गया है ,
जनता तो भोली है सो सा गया है।
देश के रहनुमा संसद में भीरते है ,
मर्यादा है तोरी अन्ना से कहते है।
हर चेहरे में संशय छाने लगे है।
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।

 गुजरात का गौरव छाया हुआ है ,
 मराठा मानुस बौखलाया हुआ है,
दीदी को नैनो की चिंता सताई ,
कश्मीर तो कब से बेगाना परा है।
देश कहा सब कहने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।

कब तक सोओगे अब तो जागो ,
कोयले की तपिस को पहचानो ,
पार्टी और मजहब की बंदिश तोरो ,
दिल के तार सिर्फ देश से जोरो।
 दीवारों पे नज्मे उभरने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।