अपने ही देश में बेगाने लगे है।
भाषा और बोली में देश खो सा गया है ,
जनता तो भोली है सो सा गया है।
देश के रहनुमा संसद में भीरते है ,
मर्यादा है तोरी अन्ना से कहते है।
हर चेहरे में संशय छाने लगे है।
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।
गुजरात का गौरव छाया हुआ है ,
मराठा मानुस बौखलाया हुआ है,
दीदी को नैनो की चिंता सताई ,
कश्मीर तो कब से बेगाना परा है।
देश कहा सब कहने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।
कब तक सोओगे अब तो जागो ,
कोयले की तपिस को पहचानो ,
पार्टी और मजहब की बंदिश तोरो ,
दिल के तार सिर्फ देश से जोरो।
दीवारों पे नज्मे उभरने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।
भाषा और बोली में देश खो सा गया है ,
जनता तो भोली है सो सा गया है।
देश के रहनुमा संसद में भीरते है ,
मर्यादा है तोरी अन्ना से कहते है।
हर चेहरे में संशय छाने लगे है।
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।
गुजरात का गौरव छाया हुआ है ,
मराठा मानुस बौखलाया हुआ है,
दीदी को नैनो की चिंता सताई ,
कश्मीर तो कब से बेगाना परा है।
देश कहा सब कहने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।
कब तक सोओगे अब तो जागो ,
कोयले की तपिस को पहचानो ,
पार्टी और मजहब की बंदिश तोरो ,
दिल के तार सिर्फ देश से जोरो।
दीवारों पे नज्मे उभरने लगे है,
अपने ही देश में बेगाने लगे है।।