आखर शब्द सब गूंज रहे है
अर्थ नए नित ढूंढ रहे है
सकल धरा पे अकुलाहट है
क्रन्दन से कण-कण व्यथित है ।।
मनुज सकल सब सूर रूप धर
असुर ज्ञान से कातर लतपथ
गरल घुला इस मधुर चमन में
घायल मलिन ज्ञान रश्मि रथ।।
मनुज सकल सब सूर रूप धर
असुर ज्ञान से कातर लतपथ
गरल घुला इस मधुर चमन में
घायल मलिन ज्ञान रश्मि रथ।।
ऐसा वीणा तान तू छेड़ दे
मधुर सरस जो मन को कर दे
मानवता का अर्थ ही सत्य हो
ज्ञान दिव्य ऐसा तू भर दे ।।
हे माँ वीणा वादिनी फिर से
ऐसा सकल मंगल तू कर दे
मानस चक्षु पे तमस जो छाया
नव किरण से आलोकित कर दे ।।
हे माँ विणा वादिनी वर दे ।।।
हे माँ वीणा वादिनी वर दे ।।।
माँ वीणा वादिनी के सम्मुख सुन्दर शब्द संरचना ... माँ का आशीर्वाद बना रहे ... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें ....
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - बसंत पंचमी में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteअर्थ नये नित ढूंढ रहे हैं .... अनुपम
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