आनंद का क्षण है। बादल झूम-झूम कर बरस रहे है।आखिर हो भी क्यों नही...आज बाल गोपाल का जन्मोत्सव जो है। तो फिर आज कृष्ण के ऊपर लोहिया जी का लिखा लेख याद आ रहा है। जिसमे लोहिया अपने चिंतन में कहते है-
कृष्ण के पहले भारतीय देव , आसमान के देवता है। निसंदेह अवतार कृष्ण के पहले शुरू हो गया । किन्तु त्रेता का राम ऐसा मनुष्य है जो निरंतर देव बनाने की कोशिश करता रहा।इसलिए उसमे आसमान की देवता का अंश अधिक है। द्वापर का कृष्ण ऐसा देव है जो निरंतर मनुष्य बनने की कोशिश करता रहा।कृष्ण देव होता हुआ सदैव मनुष्य बना रहा। कृष्ण ने खुद गीत गाया है "स्थितप्रज्ञ" का,ऐसे मनुष्य का जो अपनी शक्ति का पूरा और जमकर इस्तेमाल करता हो अर्थात "कूर्मोङ्गनीव" जो कछुए की तरह यह मनुष्य अपने अंगों को बटोरता है, अपनी इन्द्रियों पर इतना सम्पूर्ण प्रभुत्व है इसका की इन्द्रीयार्थो से पुरी तरह हटा लेता है।
तो फिर जन्माष्टमी के इस अवसर पर आनंद के असीम संसार मे तिरोहित होने के साथ-साथ कृष्ण के गीत को भी कर्मरूपी चिंतन करते रहे ।।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/08/2019 की बुलेटिन, " कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हार्दिक आभार
ReplyDeleteबहुत शानदार चिंतन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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