खुली आँखों से
जो न दिखी हो अब तक
किया हूँ बंद पलक बस
तुझे निहारने के लिए ।।
प्यास बुझे तेरे प्रेम की
ऐसी तो कोई खवाहिश नहीं
बस चाहता हूँ जलूं और
इसे निखारने के लिए ।।
गूंजती है कई आवाजे
टकराकर लौट जाती
बस गूंजती है सनसनाहट
तूं पास ही है ये जताने के लिए ।।
कभी पास-पास हम बैठे
ऐसा न कर पाया
दिलजले कई घूमते अब भी
कुछ तस्वीर जलाने के लिए ।।
टूटकर तो कितनो ने
तुझपे इश्क का चादर चढ़ाया है
मैंने ओढ़ा है तुझे
खुद को भूलाने के लिए ।।
कई रंग है तेरे
सब अपना-अपना ढूढ़ते है
मैंने मिला दी सबको
नए निखार लाने के लिए ।।
तू इबादत है ,प्रेम है,इश्क या कुछ और
मुझे मालूम नहीं
बस ख्वाहिश है इतनी
तू छूटे न कभी और कुछ पाने के लिए। ।
जो न दिखी हो अब तक
किया हूँ बंद पलक बस
तुझे निहारने के लिए ।।
प्यास बुझे तेरे प्रेम की
ऐसी तो कोई खवाहिश नहीं
बस चाहता हूँ जलूं और
इसे निखारने के लिए ।।
गूंजती है कई आवाजे
टकराकर लौट जाती
बस गूंजती है सनसनाहट
तूं पास ही है ये जताने के लिए ।।
कभी पास-पास हम बैठे
ऐसा न कर पाया
दिलजले कई घूमते अब भी
कुछ तस्वीर जलाने के लिए ।।
टूटकर तो कितनो ने
तुझपे इश्क का चादर चढ़ाया है
मैंने ओढ़ा है तुझे
खुद को भूलाने के लिए ।।
कई रंग है तेरे
सब अपना-अपना ढूढ़ते है
मैंने मिला दी सबको
नए निखार लाने के लिए ।।
तू इबादत है ,प्रेम है,इश्क या कुछ और
मुझे मालूम नहीं
बस ख्वाहिश है इतनी
तू छूटे न कभी और कुछ पाने के लिए। ।