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Wednesday, 1 January 2014

नव वर्ष सबको मंगलमय हो।

नव वर्ष सबको मंगलमय हो

काल चक्र के  नियत क्रम में,
समां गए गत वर्ष अनंत  में,
क्या खोया क्या पाया हमने,
करे विवेचन स्व के मन में। ।

नए ओज उत्साह का भान कर,
स्व से विमुक्त हम का मान कर,
सम्पूर्ण धरा सुख से हो संवर्धित,
मनुज सकल को हो सब अर्पित। ।

घृणा ,क्रोध,सब असुर प्रवृति,
दिन-हिन् दारिद्र्य सी वृति,
बीते काल समाये गर्त में,
न हो छाया इसकी नव वर्ष में। ।

मंगल मन मंगल सी भावें,
ह्रदय मनोरथ और जो लावें,
कृपा दृष्टि सदा नभ से बरसे,
   न कोई वंचित उत्कर्ष मन हर्षे। । 

कटु सत्य यथार्थ भी कुछ है, 
नागफनी, कहीं चन्दन वृक्ष है ,
पर जिजीविषा हर जगह अटल है ,
घना तिमिर अरुणोदय पल है। । 

यश अपशय से ऊपर उठकर ,
सहज भाव आत्म सुख से भरकर, 
नव आलोक मुदित सब मन हो 
नव वर्ष सबको मंगलमय हो। । 

Saturday, 28 December 2013

आने वाला नव वर्ष

                                        अस्ताचलगामी रथ पर आरूढ़  काल  चक्र अपने पथ पर सतत गतियमान अंतिम परिदृश्य को नाट्य मंचन पर सफल सम्प्रेषण कर अतीत के गर्भ में वर्ष २०१३ लगभग  विलोपित होने के कगार पर  .......।  नूतन किशलय से सुस्सजित,स्वर्ण आवरण से विभूषित नव् नव वर्ष २०१४  के प्रथम नव किरण के सुस्वागत हेतु विहंग दल कलरव को तत्पर  ..........।   अनंत उम्मीदो के दामन संकुचित मन से थामे,हर्ष के अतिरेक संभानाओं के असीम द्वार के ऊपर चक्षु अधिरोपित किये ,श्याम परछाई को गीता मर्म समझ कर्म कि गांडीव पर नूतन प्रत्यंचा का श्रृंगार, सफलता के सोपान पर विजय पताका आशाओ के डोर के साथ नभ में बल खाने को मन आतुर … ………  । आशा से निराशा का संचार, अवसाद से विलगाव, चुके लक्ष्य को पुनः भेदने कि मंशा, सुप्त  ह्रदय में ओज का भान, नव का आगमन भविष्य के गर्भ में समाये मणिकाओ का वरण,क्षितिज के अंतिम बिंदु तक छू लेने की  आश का प्रस्फुटन  अनगिनत लोचन में परिलक्षित ………।  ।
                             देश और काल से इतर उन्नत मानव की  गरिमा मानव के द्वारा ही बिभिन्न द्वारों पर ठोकर खाती हिंसा कि घृणित विकृत सोच से कुचली हुई महसूस करती आँखें , जहाँ नवीन का प्रकाश और विगत के तम में न भेद लक्षित नहीं है और न ही इसे भेद कर पाने की इच्छा शक्ति , जो अपने भाग्य की अदृश्य रेखा को वर्त्तमान के धुंधलेपन में खोजने के अलावा कही शिकायत नहीं करते ,उन आँखों में नए अरुणोदय से नए विश्वास का सृजन हो   ……।       विकास के अवधारणा से  गर्वित  जन में , खुद को इस गौरवान्वित  मानव प्रतिष्ठा से वंचित के प्रति धारणा में सकारात्मक बदलाव उनके पारिस्थितिक और मानसिक उन्नत्ति में सहायक बने  वर्ष के रूप में  प्रतिष्ठित हो इस विश्वास  का संचार हो …....... …।  
                          इच्छाओ की अनंत विमाएं हर वक्त किसी न किसी कोण से जागृत होती है और काल की वृति अपने मनोयोग से गुजरती जिससे पहुँच अधूरा रह जाता  जो  अपूर्णता का भान कराती है.………।   शायद इसी अपूर्णता को भरने का क्रम ही जिंदगी है और नव दिवस का आगमन इस उत्साह को पुनः ह्रदय लक्ष्य कर उस अपूर्णता को पूर्ण करने का सांकेतिक परिघोषणा……   ।   आने वाले नव  किरण की  छटा बिखरते स्व-कल्याण से अभिमत मन में सम्पूर्ण लोक के प्रति समदृष्टि का संचार सदैव से समरूप में धरा पर बिखरती किरणो से हर किसी के ह्रदय में उत्त्पन्न हो.……… । नव प्रभात की  बेला विगत के स्याह अनुभव, अंतर्मन के पारस्परिक द्वन्द का दोहन कर असीम ऊष्मा का नव संचार करे........... । नव वर्ष २०१४ का आगमन सभी को  सांसारिक सुख से संवर्धित करने  के साथ-साथ नए आत्मिक उत्थान को प्रेरित  कर धरा के विभिन्न वर्गों में परस्पर आत्मिक सम्बन्धो के  संचार से वसुधैव कुटुंबकम्ब की दिशा में कोई नया सूत्र प्रतिपादित करेगा,  इसी आशा एवं विश्वास के साथ सभी को आने वाले  नव वर्ष की  हार्दिक शुभकामना  …………