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Wednesday 15 August 2018

कुछ हट के ....।

मैं सोचता हूँ
कुछ ऐसा ही जेहन में उभरता है,
जब उमंग और उत्साह से लबरेज
इस एक दिन ...शायद हाँ
इस एक दिन
देश प्रेम सार्वजनिक होकर उभरता है।
और जब लहराता है तो
कई जोड़ी आंखे उसे निहारते
वही कही आसमान की
अनंत गहराई में खो जाती है शायद ।
शायद हाँ मेरी भी निगाहे
उस विस्तृत अम्बर में कुछ खिंची हुई
रेखाओ को ढूंढती है
विस्तृत नभ में खोता हुआ
जैसे खुद में सिमटता जाता हूं।
इस एक दिन...शायद हाँ
इस एक दिन
बंधन की कुछ डोर जेहन में
जैसे खुद बांधने लगता है ।
वह उमंग और उत्साह
कुछ मलिन हो चेहरे पर उभरता है
एक-एक कर कई बंधन उभरते है
खुले आसमान में लहराते हुए
आज स्वतंत्र और परतंत्र की
कई गांठे मन मन मे
खुलते और बंधते है।
मैं बस इतना सोच पाता हूं
जैसे तिरंगा बेफिक्र
आसमान में लहरा रहा है
वैसे क्या हम कभी
स्वतंत्र हो इसी धरती पर
कभी विचर पाएंगे ??

       आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं