है हमने किया,क्या गुनाह ?
जो नभ ने यु ठान लिया
अमृत बरसे जिस दरिया से
धार काल बन क्यों निगल गया ?
धरती गरजे अम्बर गरजे
थर्राई पाषाणों की शिला
देव भूमी के इस आँचल को
कफ़न बना किसने है लीला ?
कफ़न बना किसने है लीला ?
मलय कांति की खुसबू फैलती
डमरू तुरही चहुँ दिश बजती
वो गुंजित मंगल सी ध्वनी
क्रंदन में कौन बदल गया ?
है हमने किया,क्या गुनाह ?
जो नभ ने यु ठान लिया,
अमृत बरसे जिस दरिया से,
धार काल बन क्यों निगल गया ?
पुष्प लता तरुवर से शोभित,
मृगछाला से सदा शुशोभित,
उस भोले के आसन प्रांगन में
रेत पाषण कौन बिछा गया ?
कणक किरण से सजने वाले ,
अमृत वन से छाने वाले ,
इस धरा पे किसने ऐसा
कलुषित गरल बौछार किया ?
है हमने किया, क्या गुनाह ?
जो नभ ने यु ठान लिया
अमृत बरसे जिस दरिया से
धार काल बन क्यों निगल गया ?