हर उलझन को ये सुलझा दे
और सब कुछ है फिर उलझा दे
बड़े-बड़े वादों से आगे अब
हर चौक पे होर्डिंग लगवा दे।
नए-नए ब्रांडो की लहरे
थोक भाव में बेच रहे है
जनता क्या सरकार चुने अब
देश नहीं सिर्फ बाजार पड़े है।
गांधी जी के बन्दर भांति
आमजन बैठे-बैठे है
मूड पढ़े कैसे अब कोई
न कुछ देखे न ही सुने है।
वोटर सब नारायण बनकर
हवाई सिंघासन पर लेटें है
दोनों हाथ उठे है लेकिन
मुठ्ठी बंद किये ऐंठे है।
लोभ ,लालच प्रपंच में कितने
रुई कि भांति नोट उड़े है
सेवक सेवा कि खातिर अब
कैसे-कैसे तर्क गढ़े है।
बेसक कल लूट जाये नैया
लगा दांव सब पड़े अड़े है
आश निराश के ऊपर उठ कर
द्वारे-द्वारे भटक फिर रहे है।
किसकी किस्मत कौन है बदले
आने वाला कल कहेगा
जो करते सेवा का दावा
कितने सेवक वहाँ लगेगा।
मंथर चक्र क्रमिक परिवर्तन
सब पार्टी में अद्भुत गठबंधन
तुम जाओ अब हम आ जाते
ठगे -ठगे सब बमभोला बन जाते।
और सब कुछ है फिर उलझा दे
बड़े-बड़े वादों से आगे अब
हर चौक पे होर्डिंग लगवा दे।
नए-नए ब्रांडो की लहरे
थोक भाव में बेच रहे है
जनता क्या सरकार चुने अब
देश नहीं सिर्फ बाजार पड़े है।
गांधी जी के बन्दर भांति
आमजन बैठे-बैठे है
मूड पढ़े कैसे अब कोई
न कुछ देखे न ही सुने है।
वोटर सब नारायण बनकर
हवाई सिंघासन पर लेटें है
दोनों हाथ उठे है लेकिन
मुठ्ठी बंद किये ऐंठे है।
लोभ ,लालच प्रपंच में कितने
रुई कि भांति नोट उड़े है
सेवक सेवा कि खातिर अब
कैसे-कैसे तर्क गढ़े है।
बेसक कल लूट जाये नैया
लगा दांव सब पड़े अड़े है
आश निराश के ऊपर उठ कर
द्वारे-द्वारे भटक फिर रहे है।
किसकी किस्मत कौन है बदले
आने वाला कल कहेगा
जो करते सेवा का दावा
कितने सेवक वहाँ लगेगा।
मंथर चक्र क्रमिक परिवर्तन
सब पार्टी में अद्भुत गठबंधन
तुम जाओ अब हम आ जाते
ठगे -ठगे सब बमभोला बन जाते।
आपकी लिखी रचना शनिवार 29 मार्च 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
हार्दिक आभार .....
Deleteलोकतंत्र के महापर्व में सभी दांव लगा रहे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
सटीक और समसामयिक रचना...
ReplyDeleteबहुत खूब :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं सार्थक सन्देश देती रचना हेतु बधाई .
ReplyDeleteआज की चुनाव व्यवस्था का बहुत सटीक आंकलन...बहुत सार्थक और सुन्दर रचना...
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