काश सभी को इनका आनंद ...... |
दीवारों पे वार
अलसाई आँखों का
पलकों से जदोजहज
खुलने को तैयार नहीं
अरे कुछ और कर इंतजार
आज रविवार है।।
मोहे कहा विश्राम |
जब नजर टिकी उसपे
घडी की टिक-टिक
जाने कैसे चल-चल
यहाँ तक पंहुची
क्या वो भी ठमक गई
आज रविवार है।।
काट रहे जो पल
या पल जिनको काट रहा
जाने आज कहा की देहरी
हमारा रविवार कब आएगा ....? |
क्या भूख की होगी हार
कही भूख ठिठक गयी
आज रविवार है।।
समय के वार से
घायल कराह रहे
हर दिन शुष्क आंतो को
पसीने बहा कर ठंडक पहुचा रहे
दिन न बता बुझ जायेंगे
लड़ने दे कुछ और दिन,चाहे
आज रविवार है।।