जिन छंदो में पीड़ा झलके,
शोक जनित भावार्थ ही छलके
वैसे युग्म समूहो में
मैं शब्दो को न ढालूँगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
सुख-दुःख का मिश्रण जब जीवन
यह यथार्थ नहीं कोई कोई भ्रम
तब क्यों आखर को व्यर्थ कर
बुधत्व भाव बनाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
समर भूमि के इस प्रांगण में
कर्म डोर थामे बस मन में
गीता भाव सदा बस गूंजे
क्यों अर्जुन क्लेश जगाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
छल ,फरेब ,धोखा की बाते
ठोखर खाकर छूटती सांथे
मेरे पंक्ति में न छाये
बस हाथ मदद में उठते को सजाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
शोक जनित भावार्थ ही छलके
वैसे युग्म समूहो में
मैं शब्दो को न ढालूँगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
सुख-दुःख का मिश्रण जब जीवन
यह यथार्थ नहीं कोई कोई भ्रम
तब क्यों आखर को व्यर्थ कर
बुधत्व भाव बनाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
समर भूमि के इस प्रांगण में
कर्म डोर थामे बस मन में
गीता भाव सदा बस गूंजे
क्यों अर्जुन क्लेश जगाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
छल ,फरेब ,धोखा की बाते
ठोखर खाकर छूटती सांथे
मेरे पंक्ति में न छाये
बस हाथ मदद में उठते को सजाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।