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Wednesday, 11 December 2013

हर्षित पद रचाऊंगा

जिन छंदो में पीड़ा झलके,
शोक जनित भावार्थ ही छलके
वैसे युग्म समूहो में
मैं शब्दो को न ढालूँगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।

सुख-दुःख का मिश्रण जब जीवन
यह यथार्थ नहीं कोई कोई भ्रम
तब क्यों आखर को व्यर्थ कर
बुधत्व भाव बनाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।

समर भूमि के इस प्रांगण में 
कर्म डोर थामे बस मन में 
गीता भाव सदा बस गूंजे 
क्यों अर्जुन क्लेश जगाऊंगा  
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।

छल ,फरेब ,धोखा की  बाते 
ठोखर खाकर छूटती सांथे 
मेरे पंक्ति में न छाये 
बस हाथ मदद में उठते को सजाऊंगा  
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।