जिन छंदो में पीड़ा झलके,
शोक जनित भावार्थ ही छलके
वैसे युग्म समूहो में
मैं शब्दो को न ढालूँगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
सुख-दुःख का मिश्रण जब जीवन
यह यथार्थ नहीं कोई कोई भ्रम
तब क्यों आखर को व्यर्थ कर
बुधत्व भाव बनाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
समर भूमि के इस प्रांगण में
कर्म डोर थामे बस मन में
गीता भाव सदा बस गूंजे
क्यों अर्जुन क्लेश जगाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
छल ,फरेब ,धोखा की बाते
ठोखर खाकर छूटती सांथे
मेरे पंक्ति में न छाये
बस हाथ मदद में उठते को सजाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
शोक जनित भावार्थ ही छलके
वैसे युग्म समूहो में
मैं शब्दो को न ढालूँगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
सुख-दुःख का मिश्रण जब जीवन
यह यथार्थ नहीं कोई कोई भ्रम
तब क्यों आखर को व्यर्थ कर
बुधत्व भाव बनाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
समर भूमि के इस प्रांगण में
कर्म डोर थामे बस मन में
गीता भाव सदा बस गूंजे
क्यों अर्जुन क्लेश जगाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
छल ,फरेब ,धोखा की बाते
ठोखर खाकर छूटती सांथे
मेरे पंक्ति में न छाये
बस हाथ मदद में उठते को सजाऊंगा
त्रस्त भाव को अनुभव कर भी
हर्षित पद रचाऊंगा । ।
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआज 11-12-13 का सुखद संयोंग है।
सुप्रभात...।
आपका बुधवार मंगलकारी हो।
उत्तम भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: मजबूरी गाती है.
धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर भाव लिए बहुत ही सुन्दर रचना.....
ReplyDelete:-)
भावपूर्ण सुंदर रचना।।।
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