आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-आराधना की जाती है। फिर ब्रह्मचारिणी स्वयं में ब्रह्रा और चारणी का संधि है।जिसमें ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का मतलब आचरण करने वाली। फिर ऐसे मान्यता और विश्वास बेसक पुरातन हो लेकिन ये सार्वकालिक ही है। तो फिर वर्तमान में आज लॉक डाउन का देश मे भी दूसरा दिन है। बेशक महिषासुर मर्दन नौ दिनो में हो गया था, कौरवो को पराजित करने में अठारह दिन लगे।किन्तु "कोविदानंद- उन्नीस" तो कम से कम 21 दिनों का संघर्ष निश्चित है और आगे भी बढ़ सकता है। इसलिए ये सभी के लिए आचरण युक्त तपस्या का समय है। फिर आप इस तपस्या की सिद्धि के लिए अपने आचरण को ऐसे ढाले की आपके पांव लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन नही करे।
हमारे पास तो खैर अभी कोई कोई चारा नही है। हम लॉक डाउन में रहना चाहते है,लेकिन अब तक अनलॉकिंग प्रोसेस में ही है। पूरे रोड पर जब कोरोना का खौफ और सन्नाटा पसरा हो और उस समय जब मोटरसाइकिल की आवाज उन सन्नाटो को चीरती हुई आगे बढ़ती है, तो मन का द्वंद में कौन सा राग छिड़ता है, कहना मुश्किल है।
वक्त ने गंभीरता ओढ़ ली है।आंकड़ो की रफ्तार बता रहा है। जो इसको अब तक हर बात की भांति इसे भी हवा में सिगरेट की छल्लो की तरह उड़ाना चाहते है, शायद वो भी अब थोड़ा संजीदा हो जाये। इसलिए अब इक्कीस दिनों के लिए बेहतर है, बाहर निकलने से पहले इक्कीस बार सोचे।
बाकी कुरुक्षेत्र के मैदान में जो योद्धा अपने अस्त्र-शस्त्र के साथ डटे है, उनको इस युद्ध मे जीतने में अपना योगदान दे और ये तभी आप कर सकते है जब आप अपने आपको सुरक्षित घर पर रखे।घर के दहलीज को लांघना विषराज को घर पर आमंत्रित करना है। बाकी आधुनिक संजय से आप प्रतिपल इस युद्ध का खबर लेते रहे, लेकिन गान्धारी की तरह आंख पर पट्टी न बांधे। खुली आंख से देखे और स्वयं आकलन करे।
हमारे पास तो खैर अभी कोई कोई चारा नही है। हम लॉक डाउन में रहना चाहते है,लेकिन अब तक अनलॉकिंग प्रोसेस में ही है। पूरे रोड पर जब कोरोना का खौफ और सन्नाटा पसरा हो और उस समय जब मोटरसाइकिल की आवाज उन सन्नाटो को चीरती हुई आगे बढ़ती है, तो मन का द्वंद में कौन सा राग छिड़ता है, कहना मुश्किल है।
वक्त ने गंभीरता ओढ़ ली है।आंकड़ो की रफ्तार बता रहा है। जो इसको अब तक हर बात की भांति इसे भी हवा में सिगरेट की छल्लो की तरह उड़ाना चाहते है, शायद वो भी अब थोड़ा संजीदा हो जाये। इसलिए अब इक्कीस दिनों के लिए बेहतर है, बाहर निकलने से पहले इक्कीस बार सोचे।
बाकी कुरुक्षेत्र के मैदान में जो योद्धा अपने अस्त्र-शस्त्र के साथ डटे है, उनको इस युद्ध मे जीतने में अपना योगदान दे और ये तभी आप कर सकते है जब आप अपने आपको सुरक्षित घर पर रखे।घर के दहलीज को लांघना विषराज को घर पर आमंत्रित करना है। बाकी आधुनिक संजय से आप प्रतिपल इस युद्ध का खबर लेते रहे, लेकिन गान्धारी की तरह आंख पर पट्टी न बांधे। खुली आंख से देखे और स्वयं आकलन करे।