आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना
अमंत्रं अक्षरं नास्ति , नास्ति मूलं अनौषधं । अयोग्यः पुरुषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभ: ॥ "कोई अक्षर ऐसा नही है जिससे (कोई) मन्त्र न शुरु होता हो , कोई ऐसा मूल (जड़) नही है , जिससे कोई औषधि न बनती हो और कोई भी आदमी अयोग्यनही होता , उसको काम मे लेने वाले (मैनेजर) ही दुर्लभ हैं ।" — शुक्राचार्य
अबकि आकर मुरली मनोहर कुछ ऐसा चक्र चला देना,
ReplyDeleteशीश अलग अज्ञान का कर पुनः ज्ञान रवि फैला देना।
काश कि ऐसा हो
जन्माष्टमी की हार्दिक मंगलकामनाएं
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ReplyDeleteआमीन ... मुरली वाला चाहे तो अज्ञान दूर कर नव रश्मि का उदय हो सकता है ... नव रवि का आगमन हो सकता है ...
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