नजर अधखुली सी
ख्वाव अधूरे से
आसमान कि गहराई पे पर्दा
बादल झुके झुके से।
अविरल धार समुद्र उन्मुख
पूर्ण को जाने कैसे भरता।
एहसास सुख का या
सुख क्या? एहसास कि कोशिश।
हर वक्त एक द्वन्द
किसी और से नहीं
खुद से खुद का तकरार।
नियत काल कि गति
फिर क्यों नहीं कदम का तालमेल।
जो है उसे थामे,सहेज ले
या कुछ बचा ले जगह
जो न मिला उसकी खोज में।
हर रोज जारी है
अधूरे को भरने कि
और भरे हुए को हटाकर
नए जगह बनाने का द्वन्द । ।
ख्वाव अधूरे से
आसमान कि गहराई पे पर्दा
बादल झुके झुके से।
अविरल धार समुद्र उन्मुख
पूर्ण को जाने कैसे भरता।
एहसास सुख का या
सुख क्या? एहसास कि कोशिश।
हर वक्त एक द्वन्द
किसी और से नहीं
खुद से खुद का तकरार।
नियत काल कि गति
फिर क्यों नहीं कदम का तालमेल।
जो है उसे थामे,सहेज ले
या कुछ बचा ले जगह
जो न मिला उसकी खोज में।
हर रोज जारी है
अधूरे को भरने कि
और भरे हुए को हटाकर
नए जगह बनाने का द्वन्द । ।