माता तेरे नाम में
श्रद्धा अपरम्पार है
झूम रहे है भक्त सब
नव-रात्र की जयकार है । ।
शक्ति सब तुम में निहित
तुम ही तारनहार हो
सृष्टि की तुम पालनकर्ता
तुम कल्याणी धार हो । ।
माता तेरे आगमन पर
कितने मंडप थाल सजे
क्या -क्या अर्पण तुझको करते
शंख मृदंग करताल बजे। ।
कुछ भक्त है ऐसे भी
जो अंधकार में खोये है
करना चाहे वंदन तेरा
पर जीवन रण में उलझे है।
क्या लाये वो तुझे चढ़ावा
जब झोली उनकी खाली है
श्रद्धा सुमन क्या अर्पित करते
तेरे द्वार भरे बलशाली है। ।
तू तो सर्व व्यापी मैया
ऐसे क्यों तू रूठे है
उन्हें देख कर लोग न कह दे
तेरे अस्तित्व झूठे है। ।
है बैठे फैलाये झोली कब से
तेरी कृपा की वृष्टि हो
बस भींगे उसमे तन मन से
उनमे भी एक नए युग की सृष्टि हो। ।