Monday 13 January 2020

तन्हाजी-ए अनसंग वारियर

         इस बात की पूरी संभावना है कि आपके पसंद-नापसन्द विचारधारा के दायरे में बंध सकता है।  कला का विस्तार काल से परे तो नही हो सकता चाहे हम दार्शनिकता की कोई भी धारणा ओढ़ ले।लेकिन जब उस धारणा के चादर से,हम जैसे ही बाहर झांके, हकीकत के झोंके से उसके एक-एक सूत बिखर जाते है।खैर...
      भवत्यधर्मो धर्मो हि धर्माधर्मावुभावपि ।
कारणादेशकालस्य देशकालः स तदृशः ।।
                                      -शांतिपर्व-
  "" देशकाल का ऐसा प्रभाव होता है कि एक ही काम एक समय मे धर्म हो सकता है और वही समय बदलने पर अधर्म भी हो सकता है।"

    तो फिर अपने-अपने देशकाल के अनुसार ये आलमगीर औरंगजेब अपनी राजनैतिक कूटनीति की चाल चल दिया। स्वराज की घोषणा हो चुकी है। भगवा के कीर्ति पताका का उद्घोष "तन्हाजी" कर चुके है, हिन्दू राज्य के राजा क्षत्रपति शिवाजी के सबसे भरोसेमंद और दाहिना हाथ। उदयभान राठौड़ मुगलिया लहजे में भगवा को मिटाने की चुनौती देता है। मराठा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और मुगलिया लहजा दोनों को बहुत बारीकी से निर्देशक पर्दे पर उतार दिया है।वेश-भूषा, तत्कालीन किला, छापेमारी युद्ध कौशल, और उसपर 3-डी का प्रभाव। फ़िल्म के शुरू होते ही आप उस काल मे जैसे टहलने लगते है। फ़िल्म को देखने से पता चल जाता है कि निर्देशक ओम राउत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को उभारने में कितने प्रभावशाली रहे है।
       कहानी इतिहास के हर्फों में दर्ज है। तन्हा जी मलासुरे सिंघनाद के किले को उदयभान राठौड़ से मुक्त कराने के लिए युद्ध करता है। जिसमे सफल भी होता है। बाकी ताने-बाने, भाव-भंगिमाएं, कलात्मकता की छूट के नाम पर अपनी रचनाशीलता से पटकथा को एक पूर्ण रूप से गूंथ कर आपके सामने पेश करता है। जिसमे ज्यादातर समय फ़िल्म आपको आकर्षित करती है। युद्ध के दृश्य तो खासकर आपको जैसे बांध लेता है।

       अजय देवगन तन्हा जी के रोल में जंचे है, वही उदय भान की क्रूरता को सैफ अली खान ने पूरी तरह से जिया है। काजोल छोटी सी भूमिका में है लेकिन काफी भावपूर्ण नजर आई है। लेकिन खास तौर पर शिवाजी की भूमिका में शरद केलकर और और औरंगज़ेब की भूमिका में ल्यूक केनी की उपस्थिति दमदार नजर आता है। दोनों कि भूमिका कुल मिलाकर छोटा ही कहा जायेगा लेकिन जब भी पर्दे पर आए अपना प्रभाव जबरदस्त रूप से छोड़ते है।

      बाकी बैक ग्राउंड संगीत दृश्य को जीवंत कर देता है, जहाँ तक गीत की बात है तो गुंजाइस के अनुरूप ठीक है। बाकी आप देख के तय करे....

1 comment:

  1. अच्छी समीक्षा प्रस्तुति
    इसी बहाने फिल्म देख लेते हैं

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