कुछ लोग
अंधेरा कायम रखना चाहते है,
क्योंकि
रोशनी की महत्ता समझा सके।।
ये पुरातनपंथी है
या फिर तथाकथित प्रगतिशील।
लीलते दोनों ही है जीवन को
एक में उत्सर्ग अभिलाषा है
और दूसरे की क्रांति
एक लालसा है।।
जब हुक्मरान
वाचाल हो ,
तो जनता सिर्फ
मूक और बघिर हो सुरक्षित ।।
नीति और नियंता
तो बदलते रहते है
लेकिन हर बार
एक नए जख्म देकर।।
क्योंकि पुराने घाव भरना
शायद कभी राज की नीति
नही होती है ।
वो तो हमेशा
आज के जख्म का उसे
कारण मानती है।।
और हम भी
घाव के निशान खुजलाकर
शायद कुछ ऐसा ही तलाशते है।
इंसान खुद को भूल
जब भी कुछ और तलाशा
तो सिर्फ इंसानियत ही तो वो खोया है।।
अंधेरा कायम रखना चाहते है,
क्योंकि
रोशनी की महत्ता समझा सके।।
ये पुरातनपंथी है
या फिर तथाकथित प्रगतिशील।
लीलते दोनों ही है जीवन को
एक में उत्सर्ग अभिलाषा है
और दूसरे की क्रांति
एक लालसा है।।
जब हुक्मरान
वाचाल हो ,
तो जनता सिर्फ
मूक और बघिर हो सुरक्षित ।।
नीति और नियंता
तो बदलते रहते है
लेकिन हर बार
एक नए जख्म देकर।।
क्योंकि पुराने घाव भरना
शायद कभी राज की नीति
नही होती है ।
वो तो हमेशा
आज के जख्म का उसे
कारण मानती है।।
और हम भी
घाव के निशान खुजलाकर
शायद कुछ ऐसा ही तलाशते है।
इंसान खुद को भूल
जब भी कुछ और तलाशा
तो सिर्फ इंसानियत ही तो वो खोया है।।
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