हो आबद्ध युगों -युगों से
निरंतर दर-दर बदलता रहा
मुक्ति की खोज में
अब तक किसी न किसी
काया संग युक्त ही चलता रहा.…।
मै अजन्मा ,जन्म काया
निर्लिप्त ही, न मोह पाया
शस्त्र ,वायु या अग्नि
अशंख्य पीड़ा की जननी
अन्य भी न संहार पाया ……. ।
किन्तु अब घुटता यहाँ
काया में बसता जहाँ
मलिनता छा रहा
मै आत्मा अब
खुद पर ही रोता रहा ……. ।
सतयुग से भटकता
कदम बढाता कल्कि तक पंहुचा
शायद मै हो जाऊ मुक्त
अंतिम सत्य से दर्शन
युगों युगों से अब तक विचरण ……. ।
धृष्टता सब युगों में देखि
किन्तु अब ये संस्कार
मन मलिन काया संग करता
मै आत्मा वेवश लाचार
किन्तु दोष ले पुनः भटकता…… . ।
जीर्ण -शीर्ण रक्षित देह
व्याकुल विवश कितने से नेह
मृत जग न छोड़ जाना चाहे
किन्तु मै हर्षित हो अब
महाप्रयाण करू इस जग से परे…….. . ।
करुणा पुकार अब श्याम करू
इन दिव्यता से उद्धार कर
मै भी चाहूँ मुक्ति अब
खुद से अब इस आत्मा का
इस धरा से संहार कर…… . ।
निरंतर दर-दर बदलता रहा
मुक्ति की खोज में
अब तक किसी न किसी
काया संग युक्त ही चलता रहा.…।
मै अजन्मा ,जन्म काया
निर्लिप्त ही, न मोह पाया
शस्त्र ,वायु या अग्नि
अशंख्य पीड़ा की जननी
अन्य भी न संहार पाया ……. ।
किन्तु अब घुटता यहाँ
काया में बसता जहाँ
मलिनता छा रहा
मै आत्मा अब
खुद पर ही रोता रहा ……. ।
सतयुग से भटकता
कदम बढाता कल्कि तक पंहुचा
शायद मै हो जाऊ मुक्त
अंतिम सत्य से दर्शन
युगों युगों से अब तक विचरण ……. ।
धृष्टता सब युगों में देखि
किन्तु अब ये संस्कार
मन मलिन काया संग करता
मै आत्मा वेवश लाचार
किन्तु दोष ले पुनः भटकता…… . ।
जीर्ण -शीर्ण रक्षित देह
व्याकुल विवश कितने से नेह
मृत जग न छोड़ जाना चाहे
किन्तु मै हर्षित हो अब
महाप्रयाण करू इस जग से परे…….. . ।
करुणा पुकार अब श्याम करू
इन दिव्यता से उद्धार कर
मै भी चाहूँ मुक्ति अब
खुद से अब इस आत्मा का
इस धरा से संहार कर…… . ।
करुणा पुकार अब श्याम करू
ReplyDeleteइन दिव्यता से उद्धार कर
मै भी चाहूँ मुक्ति अब
अनूठी पुकार !!
बेहद सुंदर प्रस्तुति..कहीं कहीं आपका स्वर करुण तो कहीं कहीं वीररस से ओतप्रोत होता नज़र आ रहा है।।।
ReplyDeleteवाह !!! बहुत ही बढ़िया रचना !
ReplyDeleteसच्ची पुकार है.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 05/10/2013 को हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 017 तेरी शक्ति है तुझी में निहित ...< a href=http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/>
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
धन्यवाद उपासनाजी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पुकार..
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
:-)
धन्यवाद रीनाजी
Deleteबहुत सुन्दर . नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
ReplyDeleteनई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
अति सुन्दर भाव है इस कविता में....!!!
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