कभी मै गम पीता हु
कभी गम मुझे पीता है
मरते है सब यहाँ ,
पर सभी क्या जीता है ?
जीने के सबने मायने बनाये है
उनके लिए क्या
जो कफ़न से तन को ढकता है ?
मेरी मंजिले वही
जहाँ कदम थक गए
निढाल होकर जहाँ
धरा से लिपट गए।
सभी राहें वही
फिर राह क्यों कटे कटे
विभिन्न आवरण से सभी
सत्य को क्यों ढकता है ?
कदम दर कदम जब
फासले है घट रहे
मन में दूरियां क्यों
बगल से होता जाता है ?
जहाँ से चले सभी
अब भी वही खड़े
विभिन्न रूपों में बस
वक्त के साथ बदल पड़े।
कभी गम मुझे पीता है
मरते है सब यहाँ ,
पर सभी क्या जीता है ?
जीने के सबने मायने बनाये है
उनके लिए क्या
जो कफ़न से तन को ढकता है ?
मेरी मंजिले वही
जहाँ कदम थक गए
निढाल होकर जहाँ
धरा से लिपट गए।
सभी राहें वही
फिर राह क्यों कटे कटे
विभिन्न आवरण से सभी
सत्य को क्यों ढकता है ?
कदम दर कदम जब
फासले है घट रहे
मन में दूरियां क्यों
बगल से होता जाता है ?
जहाँ से चले सभी
अब भी वही खड़े
विभिन्न रूपों में बस
वक्त के साथ बदल पड़े।