आज हरितालिका व्रत है। मनाने वाली महिलाओं में इस व्रत का उत्त्साह विशेष रहता है ,कारण सभी रूपों में कई प्रकार के हो सकते है । बदलते समय का सामजिक परिवेश का प्रभाव निशित रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है। वैसे तीज के साथ-साथ ही हमारे यहाँ चौठ चन्द्र व्रत भी होता है अपभ्रंस में चौरचन कहते। बाल्यकाल से चौठ की महिमा ज्यादा हमारी नजरो में था क्योंकी प्रसाद की अधिकता हमें उसी व्रत में दीखता था अतः महता उसकी स्वंय सिद्ध थी। धर्म के प्रति यदपि स्वाभाविक लगाव है तथापि उसके बन्धन सिर्फ विशेष उत्सवो या त्योहारों अथवा मंदिर के अंतर्गत न होकर हर जगह महसूस करता हु।
श्रीमतीजी के पहले तीज व्रत से ही आग्रह रहता था की इसकी कथा मै स्वंय उन्हें सुनाऊ जिसकी इच्छा पूर्ति इस वार भी की गई। ऐसे तो हरितालिका के कथा वाचन से कई प्रकार के शंका से खुद ग्रसित हो जाता हु किन्तु किसी प्रकार से आस्था को ठेस न पहुचे अतः कोई वाद -विवाद से हम दोनों बचते है। खैर आज उनका विशेष आग्रह था की कोई कविता इस व्रत के ऊपर या उनके लिए ही लिख दू तथा उसको अपने ब्लॉग पर भी दूँ , उनके लिए विशेष दिन है इसलिए आग्रह टाला नहीं गया और कुछ पंक्तिया …………………………टूटी-फूटी कुछ तुकबंदी कर दिया . त्रुटियाँ संभव है।
(१ )
महिमा
है उत्सर्ग कई रूपों में
किसका मै गुणगान करू
माँ की महिमा महिमा ही है
उसका क्या बखान करू।
जो भी रूप में आये हो
रूप बड़ा ही न्यारा है
जीवन के हर सोपानों में
उसने हमें सवारा है।
हर रूपों में त्याग की मुरत
अर्धांग्नी या माँ की सूरत
कितने व्रत है ठाणे तूने
विभिन्न रूप में माँने तूने
हा अब ये निष्कर्ष है लगता
जननी ,पालन हर रूप में करता।।
(२)
कंचन के नाम
माँ ने मुझको
जिन हाथो में
ऐसे ही जब सौप दिया ,
था मै किंचित शंकालु सा
क्या नेह का धागा तोड़ दिया।
तुम संग हाथ में हाथ का मिलना
दिल खुद में तल्लीन हुआ ,
उल्काओ के सारे शंके
आसमान में विलीन हुआ।
तेरा साथ कदम नहीं
खुशिओं के पर पाए है ,
कंचन नाम युहीं नहीं
सब पारस के गुण पाए है।
बहुत कुछ कहने को है ,
हर भावों को गढ़ने को है,
पर मेरे शब्द समर्थ नहीं है,
हर शब्द का बस अर्थ तू ही है।।
तीज पर बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समझ में आया बापू .
wah....yekbar me padh gae....behud sarthak....
ReplyDeleteआभार .....
Deleteबहुत खुबसूरत प्रेममय रचना ....
ReplyDeleteवाह तीज पे आपने प्रेम की ये परंपरा शुरू की है ... श्रीमती जी का कहा मान के सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं ...
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete