इज्जत का जनाजा है
बेशर्म आसुं बहा बहा रहे है,
बहरों की बाराती में
देखों भोपूं पे कई गा रहे है। ।
कौन किससे अर्ज करे
हर हाथों में शिकायत का लिफाफा है,
जिनको बिठाया है गौर करे
रौशन नजर उनका कहीं जाया है। ।
खुशहाली को बयां कैसे न करे
गोदाम अनाजों से नहाया है,
कमबख्त अंतरियों को खुद गलाते है
अब तक कार्ड नहीं बनाया है। ।
मानणीयोँ को मान देना न भूले
कभी कदम बहक जाते है,
जम्हुरिअत इनसे ही जवां है
वरना कौन इसमें कदम बढ़ाते है। ।
हर कोई खफा है इन झोको से
ये लौ बहक न जाये कही ,
आशियाने जो बनाये है ख्वावो के
पल भर में धधक न जाये कही। ।
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
aaj ki viyvastha par achha likha hai aapne
ReplyDeleteवाह जी वाह ... अर्थपूर्ण हैं सभी छंद ...
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